Types of bearing in hindi

Types of bearing in hindi

आज हम बात करेंगे बेरिंग के बारे में की बेरिंग क्या होता है और बेरिंग का क्या यूज होता है और बेरिंग कितने प्रकार की होते है?

  

तो चलिए जानते है आपने बेरिंग कहीं न कहीं जरूर देखी होगी जो आपको मैकेनिकल में हर जगह देखने को मिल जाएगी जहां भी हमें साफ्ट को घुमाने की जरूरत पड़ती है वहां हम बेरिंग का यूज करते हैं! 

बेरिंग शब्द अंग्रेजी के bear शब्द से लिया गया है जिसका मतलब होता है सपोर्ट करना बेरिंग रोटेटिंग पार्ट को सपोर्ट करने का काम करता है! 

और ये रेडियल और एक्सियल लोड को भी बीयर करने का काम करता है बेरिंग मशीन के रोटेटिंग पार्ट की फ्रिक्शन को कम करने का काम करता है! 

और यह ऑपरेशन को स्मूथ बनाने का काम करता है! 

  

अगर हम बेरिंग नहीं लगाएंगे तो क्या होगा ?

तो अगर हम बिना बेरिंग के किसी भी साफ्ट को घुमाएंगे तो उसमें बहुत ही हिट और फ्रिक्शन पैदा होगा और साफ्ट अच्छे से घूम नहीं पायेगी और साफ्ट डैमेज हो जाएगी! 

आप अपने घर में फैन को ही ले लीजिए फैन का मोटर साफ्ट के सहारे लटका रहता है जब हम फैन को सप्लाई देते हैं तो फैन घूमने लगता है! 

साफ्ट ज्यादा इधर उधर न हो यानी की साफ्ट स्टेबल रहे इसके लिए हमें एक सपोर्ट की जरूरत होती है! और इसी सपोर्ट को बीयरिंग कहते हैं! 

बेरिंग और साफ्ट के बीच में फ्रिक्शन को कम करने के लिए ऑयल या ग्रीस का यूज किया जाता है! उम्मीद करता हूँ आपको बीयरिंग की डेफिनेशन समझ में आ गई होगी! 

आमतौर पर जो हमारी बेरिंग होती है ये गन मेटल का बनाया जाता है! 

अब हम बेरिंग के प्रकार के बारे में बात कर लेते हैं — 

 बेरिंग दो प्रकार की होती है — 

  1. फ्रिक्शन बेरिंग (Friction Bearing) 

  2. एंटी फ्रिक्शन बेरिंग (Anti Friction Bearing)

 

1. फ्रिक्शन बेरिंग (Friction Bearing):

फ्रिक्शन टाईप बेरिंग में किसी भी प्रकार का रोलिंग एलिमेंट का यूज नहीं किया जाता है! 

फ्रिक्शन टाईप बेरिंग को प्लेन बेरिंग और स्लाइडिंग बेरिंग भी कहा जाता है! 

जबकि एंटी फ्रिक्शन टाईप बेरिंग में साफ्ट को घुमाने के लिए रोलिंग एलिमेंट का यूज किया जाता है 

इसमें बीयरिंग के बाहर वाले पार्ट को आउटर रेस बोलते हैं जबकि अंदर वाले पार्ट कों इनर रेस बोलते हैं 

आउटर रेस और इनर रेस के बीच में रोलिंग एलिमेंट का यूज किया जाता है !

फ्रिक्शन टाइप बेरिंग और एंटी फ्रिक्शन टाईप बेरिंग के अंदर भी कई प्रकार की बेरिंग आती है तो सबसे पहले हम एंटी फ्रिक्शन टाईप बेरिंग के बारे में डिस्कस करेंगे की ये कितने प्रकार के होते है! 

 

2. एंटी फ्रिक्शन बेरिंग (Anti friction Bearing):

एंटी फ्रिक्शन बेरिंग में साफ्ट को घुमाने के लिए रोलिंग एलिमेंट का यूज किया जाता है इसमें बेरिंग के आउटर रेस और इनर रेस के बीच में ball या रोलर का यूज किया जाता है इसलिए बेरिंग में फ्रिक्शन बहुत कम रहता है बेरिंग का आउटर रेस फिक्स रहता है जबकि इनर रेस के अंदर साफ्ट फीट की जाती है और ये साफ्ट के साथ घुमती  है! 

एंटी फ्रिक्शन बेरिंग को रोलिंग एलिमेंट बेरिंग और रोलिंग कांटेक्ट बेरिंग भी कहा जाता है 

 

एंटी फ्रिक्शन बेरिंग दो प्रकार की होती है :

a. बॉल बेरिंग (Ball Bearing)

b. रोलर बेरिंग (Roller Bearing)

 

 

  1. बॉल बेरिंग (Ball Bearing) :

सबसे पहले हम बॉल बेरिंग के बारे में डिस्कस कर लेते हैं जैसा कि नाम से ही क्लियर है बॉल बेरिंग इसमें बेरिंग के आउटर रेस और इनर रेस के बीच में बॉल का यूज किया जाता है जो कि बेरिंग को घुमाने का कार्य करता है बॉल के बीच में केज लगा हुआ होता है केज बॉल्स को पकड़कर रखने का काम करता है !

और बॉल को एक दूसरे की कांटेक्ट में आने से भी रोकता है ज्यादातर बॉल बेरिंग कार्बन क्रोम स्टील की बनाई जाती हैं और हाई स्पीड के लिए बॉल बेरिंग का यूज किया जाता है! 

Ball Bearing

बॉल बेरिंग के प्रकार :

1. सिंगल रो बॉल बेरिंग (Single Row Ball Bearing)

2. डबल रो बॉल बेरिंग (Double Row Ball Bearing)

3. एंगुलर कांटेक्ट बेरिंग (Angular Contact Bearing)

4. सेल्फ अलाइनिंग बॉल बेरींग (Self Aligning Ball Bearing)  

5. थ्रस्ट बॉल बेरिंग (Thrust Ball Bearing)

6. डीप ग्रूव बॉल बेरिंग (Deep Groove Ball Bearing)

 

1. सिंगल रो बॉल बेरिंग (Single Row Ball Bearing):

जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है सिंगल रो यानी केस में एक रो में बॉल अरेंज होती है इसलिए इसे सिंगल रो बॉल बेरिंग कहा जाता है। 

बॉल बेरिंग आउटर रेस और इनर रेस के साथ प्वाइंट कॉन्टैक्ट बनाती है जिसके कारण ही एग्जिट लोड को आसानी से बीयर कर लेती है और साथ ही साथ यह रेडियल लोड को भी आसानी से bear करने का काम करती है! 

Single Row Ball Bearing

 

 

Axial load और Radial Load क्या होता है और साफ्ट पर कैसे लगता है ? 

जब साफ्ट घुमती है तब उस पर पूरी मशीन का लोड लगता है जो साफ्ट की रेडियस के साथ लगता है और यह रोटेटिंग सॉफ्ट के परपेंडीकूलर लगता है और ये साफ्ट पर ऊपर की तरफ से act करता है जो की साफ्ट कि 90 डिग्री पर लगता है और यह शाफ़्ट को आगे धक्का मारने का प्रयास करता है इसलिए इसे axial लोड कहा जाता है !या वर्टीकल घुमने वाला सारा मशीनरी एक्सियल लोड कहलाता है!

Axial Load

रेडियल लोड में शाफ़्ट पर लगने वाला लम्बवत बल को ही रेडियल लोड कहा जाता है! रेडियल लोड का उदाहरण है मोटर के साथ जुड़े हुए गियरबॉक्स, बेल्ट और पुल्ली सब रेडियल लोड कहलाते है! यानी की होरिजोंटली जो भी मशीनरी घुमती है वो सारा रेडियल लोड के अन्दर आते है !

Radial Load

 

 

2. डबल रो बॉल बेरिंग (Double Row Ball Bearing):

जैसा कि नाम से ही क्लियर है डबल रो बॉल बेरिंग इसमें दो रो में बॉल को अरेंज किया जाता है इसमें दो ग्रुप्स बने रहते हैं जिसमें बोल्स फिट रहती है जैसा कि आप इमेज में देख पा रहे होंगे डबल रो बॉल बेरिंग सिंगल रो बॉल बेरिंग की तुलना में ज्यादा रेडियल लोड को बीयर कर सकती है हाई RPM और हाई लोड के लिए डबल रो बॉल बेरिंग का यूज किया जाता है !

Double Row Ball Bearing

 

3. एंगुलर कांटेक्ट बेरिंग (Angular Contact Bearing

Angular कॉन्टैक्ट बेरिंग का यूज वहां किया जाता है जहां साफ्ट के डिस्प्लेसमेंट होने का चांस बहुत अधिक रहता है 

और जहां लोड vary करता है यानी कि जहां लोड कम या ज्यादा रहता है वहां हम एंगुलर कॉन्टैक्ट बेरिंग का यूज करते हैं 

डबल रो एंगुलर कांटेक्ट बेरिंग का यूज axial और रेडियल लोड को बीयर करने के लिए किया जाता है!

Angular Contact Ball Bearing

 

4. सेल्फ अलाइनिंग बॉल बेरींग (Self Aligning Ball Bearing) :

self aligning बॉल बेरिंग का यूज वहां करते हैं  जहां थोड़ा बहुत अलाइनमेंट डिस्टर्ब होता है और जहां लोड कम या ज्यादा होता है 

यह बेरिंग अपने आप ही लोड को एडजस्ट कर लेती है इस टाइप की बीयरिंग में जो इनर रेस रहता है वह अंदर और बाहर घूम सकता है 

30 डिग्री से कम ऐंगल में इनर रेस घूम सकता है जिससे मैटल सरफेस कॉन्टैक्ट कम हो जाता है जिससे फ्रिक्शन भी कम हो जाता है 

आपको पता है कि जितना ज्यादा मैटल कॉन्टैक्ट होता है उतना ही ज्यादा फ्रिक्शन जनरेट होता है पर यहां मैटल कॉन्टैक्ट कम होने के कारण फ्रिक्शन कम हो जाता है 

हाई स्पीड के लिए सेल्फ aligning बॉल बेरिंग का यूज करते हैं 

self aligning बॉल बेरिंग का यूज इंडस्ट्रीयल फैन में, मटीरियल हैंडलिंग में देखने को मिल जाता है 

Self Aligning Ball Bearing

 

5. थ्रस्ट बॉल बेरिंग (Thrust ball bearing) :

इस टाइप की बॉल बेरिंग का यूज horizontal और vertical थ्रस्ट को bear करने के लिए किया जाता है!

Thrust Ball Bearing

6. डीप ग्रूव बॉल बेरिंग (Deep groove ball bearing) :

इसमे बॉल का depth बढ़ाने के कारण यहां कांटेक्ट surface area बढ़ जाता है जिससे बीयरिंग की रेडियल लोड लेने की कैपेसिटी बढ़ जाती है

बेसिकली दीप ग्रुप बॉल बेरिंग का यूज वहां किया जाता है जहां axial लोड के चांसेस ज्यादा रहती हैं 

और साथ में ये रेडियल लोड को भी बियर कर सकता है !

Deep Grove Ball Bearing

 

b. रोलर बेरिंग (Roller Bearing):

रोलर बेरिंग में साफ्ट को घुमाने के लिए बेरिंग के आउटर और इनर रेस के बीच में रोलर का यूज किया जाता है 

रोलर लैंथ में लंबे रहते हैं रोलर बेरिंग के आउटर रेस और इनर रेस के साथ लाइन कॉन्टैक्ट बनाते हैं 

रोलर बीयरिंग ज्यादा रेडियल रोड को बीयर करने के लिए कैपेबल होते हैं 

जहां हमें ज्यादा रेडियल लोड को बीयर करने की रिक्वायरमेंट होती है 

वहां हम रोलर बीयरिंग का यूज करते हैं !

रोलर बीयरिंग बॉल बेरिंग की तुलना में ज्यादा रेडियल लोड को बियर कर सकता है 

और हाईर लोड के लिए रोलर बीयरिंग का यूज किया जाता है 

रोलर बीयरिंग में लुब्रिकेशन का होना बहुत जरूरी है नहीं तो बेरिंग का फेलियर होने का चांसेस बहुत अधिक रहता है !

 

रोलर बीयरिंग के प्रकार :

1. सिलेंडीकल रोलर बीयरिंग (Cylindrical Roller Bearing)

2. स्फेरिकल रोलर बियरिंग (Spherical Roller Bearing)

3. नीडल रोलर बीयरिंग (Needle Roller Bearing)

4 . टेपर रोलर बीयरिंग (Taper Rolling Bearing)

 

1. सिलेंडीकल रोलर बीयरिंग (Cylindrical Roller Bearing) : 

हेवी रेडियल लोड और हाई स्पीड के लिए सिलेंडरिकल रोलर बीयरिंग का यूज किया जाता है लाइन कॉन्टैक्ट होने के कारण बेरिंग के आउटर रेस और इनर रेस के साथ रोलर का सरफेस  कॉन्टैक्ट बढ़ जाता है जिसके कारण बेरिंग ज्यादा नॉइस प्रोड्यूस करता है!

Cylindrical Roller Bearing

 2. स्फेरिकल रोलर बियरिंग (Spherical Roller Bearing) :

इसमें बेरिंग का इनर रेस अंदर और बाहर की तरफ घूम सकता है जिससे थोड़े बहुत मिस एलाइनमेंट को मेंटेन कर लेती है 

स्फेरीकल रोलर बीयरिंग की axial और रेडियल लोड को बीयर करने  की कैपेसिटी बहुत ज्यादा रहती है! 

और इसे हाई स्पीड के लिए यूज किया जाता है 

जहां हाई रेडियल लोड को बीयर करने की रिक्वायरमेंट होती है वहां स्फेरिकल रोलर बीयरिंग का यूज किया जाता है 

स्फेरिकल रोलर बीयरिंग का यूज कन्वेयर गियर बॉक्स पंप और विंड टर्बाइन में और मरीन में किया जाता है!

Spherical Roller Bearing

3. नीडल रोलर बीयरिंग (Needle Roller Bearing):

नीडल रोलर बीयरिंग निडल बेरिंग में पतले सिलेंडरिकल का यूज किया जाता है 

जो कि नीडल के शेप के होते हैं 

नीडल बीयरिंग की रेडियल लोड को बीयर करने की कैपेसिटी ज्यादा रहती है 

नीडल बेरिंग को Quill bearing भी बोलते हैं 

नीडल बेरिंग में केस की जरूरत नहीं पड़ती है 

नीडल बेरिंग का यूज ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री और कंप्रेसर में किया जाता है 

पतले और लंबे रोलर होने की वजह से इनर और आउटर रेस के बीच सरफेस कॉन्टेक्ट बढ़ जाता है जिसके कारण यह बेरिंग ज्यादा नोइज प्रोड्यूस करती हैं 

Needle Roller Bearing

 4 . टेपर रोलर बीयरिंग (Taper Rolling Bearing):

इस प्रकार की बेरिंग में रोलर टेपर शेप में होती हैं

Taper roller होने के कारण यह रेडियल और axial लोड को आसानी से बियर कर लेता है 

जहां हाई axial थ्रस्ट लोड  को बियर करना होता है वहां टेपर रोलर बीयरिंग का यूज किया जाता है 

Taper रोलर बीयरिंग का यूज गियर बॉक्स और एग्रीकल्चर मशीनरी में यूज किया जाता है 

जो हमने अभी डिस्कस किया वे सभी एंटी फ्रीक्शन बेरिंग थे !

Taper Roller Bearing

 

अब हम फ्रिक्शन बीयरिंग के बारे में डिस्कस कर लेते हैं !

फ्रिक्शन बेरिंग में किसी प्रकार का रोलिंग एलिमेंट का यूज नहीं किया जाता है 

और जहां सॉफ्ट पर बहुत ही ज्यादा लोड रहता है वहां फ्रिक्शन बियरिंग का यूज किया जाता है 

बड़ी बड़ी हाइड्रोलिक टरबाइन में फ्रिक्शन बेरिंग का यूज किया जाता है 

अगर वहाँ हम बॉल बेरिंग या रोलर बीयरिंग का यूज करेंगे तो वह हाई वाइब्रेशन के कारण के टूट जाते हैं बडी बडी हाइड्रोलिक टरबाइन में आपको जनरल बेरिंग देखने को मिल जाएगी 

फ्रिक्शन बेरिंग भी कई प्रकार की होती है पर हम कुछ इंपोर्टेंट टाइप की फ्रिक्शन बेरिंग के बारे में डिस्कस करेंगे 

पहला आता है

1. फ्लूड बेरिंग (Fluid Bearing) :

जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है फ्लूड बेरिंग यानी कि ऐसी बेरिंग जिसमें साफ्ट की लुब्रिकेशन के लिए फ्लूड और गैस का यूज किया जाता है 

इसलिए इसे फ्लूड बेरिंग कहा जाता है यह दो टाइपस की होती है:

a. हाइड्रो डायनेमिक बेरिंग (Hydro Dynamic Bearing):

b. हाइड्रो स्टेटिक बेरिंग (Hydro Static Bearing):

 

a. हाइड्रो डायनेमिक बेरिंग (Hydro Dynamic Bearing) :

हाइड्रो डायनेमिक बेरिंग को हम तीन स्टेप में समझेंगे मैंने तीन फिगर दिखाए है जिसमें पहले में जनरल ड्रेस पोजीशन में पहले हम जरनल को समझ लेते हैं कि जरनल क्या होता है!

ये जो आपको बीच में दिख रहा है यह साफ्ट रहती है साथ का वह हिस्सा जो बेरिंग के अंदर रहता है उसी को हम जरनल कहते है! और बाहर वाला पार्ट आपका बेरिंग हुआ और बीच वाले पार्ट में ऑयल भरा रहता है पहले में हमारा जनरल रेस्ट में हैं यानी कि जब हमारा साफट रोटेट नहीं कर रहा है

दूसरे में जर्नल घूमना स्टार्ट कर देगा तब की पोजीशन है और तीसरे स्टेप में जब जनरल हमारा फुल स्पीड से घूमने लगता है यह तब की कंडीशन है पहले की कंडीशन में जनरल रेस्ट में यानी कि जनरल रोटेट नहीं कर रहा है यहां जनरल का सेंटर नीचे है और बेरिंग का सेंटर ऊपर है इन दोनों के बीच के गैप को इसेनट्री कहा जाता है

 जब जनरल हमारा घूमना स्टार्ट करता है तब जनरल ऊपर की तरफ उठना शुरू कर देता है और जैसे जैसे स्पीड बढती है और जब जनरल फुल स्पीड में आ जाता है तब यहां जो अंदर फ्लूड भरा रहता है वह प्रेसराइज होना शुरू हो जाता है और जनरल फूल लोड में आ जाता है तब जनरल फ्रीली घूमने लगता है और वे बेरिंग कांटेक्ट छोड़ देता है और जर्नल फ्री रोटेट करना शुरू कर देता है और यह बेरिंग को सेल्फ लुब्रिकेशन प्रोवाइड करता है इसलिए इसे सेल्फ लुब्रिकेशन बेरिंग भी कहा जाता है!

Hydro Dynamic Bearing

b. हाइड्रो स्टेटिक बेरिंग (Hydro static Bearing):

हाइड्रो स्टेटिक बेरिंग में लुब्रिकेशन ऑयल को पंप के माध्यम से प्रेसराइज करके बेरिंग में भेजा जाता है और जब जब जर्नल फूल रोड में घूमने लगता है तब जनरल का सेंटर और बेरिंग सेंटर सेम हो जाता है और साफट एकदम फ्रीली रोटेट करना शुरू कर देता है 

फ्रिक्शन टाईप बेरिंग का दूसरा टाइप है

 

2. प्लेन बेरिंग (Plain Bearing):

प्लेन बेरिंग में रोटेटिंग एलीमेंट का यूज नहीं किया जाता है प्लेन बेरिंग का यूज रोटेटिंग स्लाइडिंग reciprocating और oscillating मोशन के लिए किया जाता है 

इसमें बेरिंग फिक्स रहती है जबकि जो जनरल रहता है वहीं बेरिंग के सर्फेस के साथ स्लाइडिंग मोशन करता है प्लेन बेरिंग सस्ती कॉम्पैक्ट और लाइट वेट भी होती है 

प्लेन बियरिंग हाई लोड कैरी कर सकता है इसका यूज एग्रीकल्चर ऑटोमोबाइल और मरीन में किया जाता है क्रैंक साफ्ट में प्लेन बेरिंग का यूज किया जाता है!

Plain Bearing

3. बुश बेरिंग (Bush Bearing) :

बुश बेरिंग का यूज छोटी और लाइट weight साफ्ट को लो स्पीड से घुमाने के लिए किया जाता है बेरिंग में जनरल घूमता है तब बेरिंग का bore इन्क्रीज न करें इसके लिए bush feet कर दिया जाता है और bush साफ्ट के साथ न घूमें इसके लिए स्क्रू के माध्यम से बेरिंग को बुश के साथ लॉक कर दिया जाता है और जो bush रहता है वह ब्रास और कास्ट आयरन का बना होता है 

Bush Bearing, Types of bearing in hindi

 

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