Micrometer क्या है पूरी जानकारी
हर एक उपकरण का अपना अलग काम होता है और हर एक उपकरण में उसकी कुछ प्रक्रिया होती है। माइक्रोमीटर देखने में तो बहुत छोटा सा लगता है मगर इसका उपयोग बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस ब्लॉग में हम आपको देंगे माइक्रोमीटर से संबंधित जानकारी। चलिए, जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
1. माइक्रोमीटर क्या है? (What is Micrometer)
माइक्रोमीटर, यह एक प्रकार का सूक्ष्ममापी यंत्र होता है, माइक्रोमीटर से बाहरी या अंदरूनी डायमेंशनों को बड़ी सटीकता से मापा जा सकता है,
जैसी कि मोटाई, डायामीटर, लंबाई, चौड़ाई, गहराई आदि। इसके द्वारा हम जॉब का छोटा से छोटा माप ले सकते हैं।
आपको ऑनलाइन या बाज़ार में 0-25, 25-50, 50-75, 75-100, 100-125, 125-150 mm आदि प्रकार के माइक्रोमीटर मिल जाते हैं। 1 माइक्रोमीटर 1/1000000 मीटर के बराबर होता है।
माइक्रोमीटर का इस्तेमाल अलग-अलग प्रकार के मापों को लेने के लिए किया जाता है, इसका इस्तेमाल इंजीनियरों, खगोलशास्त्री, यांत्रिक, या फिर वैज्ञानिक द्वारा किया जाता है।
इसका उपयोग Manufacturing Shop, Company या में बड़े पैमाने में किया जाता है।
2. माइक्रोमीटर का लीस्ट काउंट (Least Count of Micrometer)
मीट्रिक मेथड में – 0.01 मिलीमीटर
ब्रिटिश मेथड में – 0.001 इंच
3. माइक्रोमीटर के प्रकार (Types of Micrometer)
माइक्रोमीटर के प्रकार नीचे दिए गए हैं-
(a) इनसाइड माइक्रोमीटर (Inside Micrometer) :`
इनसाइड माइक्रोमीटर अंदरूनी डायामीटर को चेक करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जैसे Bore, Hole और Tube के अंदर का अंदरूनी माइक्रोमीटर से चेक किया जा सकता है।
(b) आउटसाइड माइक्रोमीटर (Outside Micrometer) :
आउटसाइड माइक्रोमीटर सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया है। यह इनसाइड माइक्रोमीटर से बिल्कुल अलग होता है।
इससे आउटर डायामीटर का माप लिया जाता है। इससे किसी भी वस्तु के बाहरी डाया चेक किया जाता है।
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(c) कैलिपर टाइप माइक्रोमीटर (Caliper type Micrometer) :
यह माइक्रोमीटर वेर्निएर कैलिपर की तरह होते हैं। यह माइकोमीटर भी कंपोनेंट के अंदरूनी डायामीटर को चेक करने के काम आता है। इसके जौ को अंदरूनी डायामीटर के अंदर डाल कर घुमा कर मापा जाता है।
ट्यूबुलर और रोड माइक्रोमीटर: ट्यूबलर माइक्रोमीटर और रॉड माइक्रोमीटर दोनों को भीतर के स्पेस के बीच रखा जाता है। और मापने के लिए Space के किनारों से संपर्क करने तक बढ़ाया जाता है।
(d) डेप्थ माइक्रोमीटर:
डेप्थ माइक्रोमीटर का इस्तेमाल गहराई, स्लाॅट, और बोर को मापने के लिए किया जाता है। ये माइक्रोमीटर अलग अलग तरह के और अलग-अलग लंबाई में आते हैं। इसलिए इससे किसी भी कंपोनेंट की की गहराई को आसानी से माप लिया जा सकता है।
4. माइक्रोमीटर के प्रमुख पार्ट (Parts of Micrometer)
माइक्रोमीटर के पार्ट नीचे दिए गए हैं –
फ्रेम – माइक्रोमीटर का फ्रेम अंग्रेजी के “C” अक्षर के आकार का होता है। यह इन्वार स्टील, कास्ट आयरन और फोर्ज्ड स्टील का बना होता है, इसके ऊपर माइक्रोमीटर का साइज और अल्पतमांक (लीस्ट काउंट) लिखा होता है।
एनविल – फ्रेम के एक सिरे पर एनविल लगी होती है। यह इन्वार स्टील की बनी होती है और इसके फेस कार्बाईड के बने होते हैं जिससे यह घिस ना सके। इसके ऊपर जॉब रखकर उसका माप किया जाता है।
स्पिण्डल – माइक्रोमीटर का स्पिंडल इन्वार स्टील का बना होता है। इसके मापने वाली सतह कार्बाइड की बनी होती है। उसके ऊपर बाहरी चूड़ियां कटी होती है।
लॉक नट – माइक्रोमीटर द्वारा ली गई माप को स्थिर रखने के लिए लॉक नट का प्रयोग किया जाता है। यह बाहर से नर्लिंग किया रहता है। यह स्पिंडल को लॉक करता है।
स्लीव, हब या बैरल – माइक्रोमीटर की स्लीव अंदर से खोखली होती है। इसके अंदर चूड़ियां कटी होती है और बाहर माप अंकित होती है।
थिंबल – माइक्रोमीटर के स्पिंडल के ऊपर थिंबल होती है। इसको घुमाने से स्पिंडल घूमता है। इसका एक किनारा बेवल एज (Bevel Edge) होता है जिसकी पूरी परिधि को बराबर भागों में बांटा होता है। थिंबल के 1 भाग की दूरी जो दूरी आती है वही माइक्रोमीटर का लिस्ट काउंट होता है। इसका बाहरी भाग नर्लिंग किया रहता है।
रैचेट स्टॉप – माइक्रोमीटर के थिंबल के बाहरी सिरे पर रैचेट स्टॉप लगा रहता है। इसके द्वारा सभी व्यक्ति बराबर माप मापते हैं क्योंकि इसके प्रयोग से थिंबल ज्यादा नहीं घूमता है। माइक्रोमीटर के शुद्ध माप के लिए रैचेत स्टॉप होना जरूरी है।
आउटसाइड माइक्रोमीटर से माप लेने से पहले माइक्रोमीटर की रेंज का चुनाव किया जाता है जैसे – 0 से 25 मिलीमीटर बीच लेनी है या 25 से 50 मिलीमीटर के बीच माप लेनी है रेंज वाला माइक्रोमीटर लेना जरूरी होता है। कोई भी माप लेने से पहले माइक्रोमीटर की शून्य त्रुटि जरूर चेक कर लेनी चाहिए। माइक्रोमीटर में दो प्रकार की शून्य त्रुटियां होती है।
धनात्मक त्रुटि
ऋणात्मक त्रुटि
दो तरीके से इन त्रुटियों को दूर किया जा सकता है
a. सी स्पेनर द्वारा
– यह हुक स्पेनर भी है। इससे त्रुटि दूर करने के लिए सबसे पहले spindalऔर anvil के फेस मिलाए जाते हैं। और फिर लॉक नट से spindle को lock करके सी स्पिनर से हुक को स्लीव में बने छोटे से होल में डालकर आगे या पीछे घुमा कर थिंबल की “0” और स्लीव timeline को एक सीध में मिलाया जाता है। इस प्रकार त्रुटि दूर हो जाती है।
b. जीरो एरर
– उपरोक्त विधि से दूर ना हो तो ” + ” रीडिंग को कुल रीडिंग से घटा लिया जाता है जबकि ” -” एरर को कुल रीडिंग में जोड़ दिया जाता है।
c. बैकलैस एरर
– जब किसी माइक्रोमीटर में त्रुटि चूड़ियों की प्ले या टाइट की वजह से पडती है तो वह त्रुटि बैकलेस कहलाती है। यह यह धनात्मक और ऋणात्मककोई भी हो सकती है इसे स्लीव के अंदर लगे गोल नट को टाइट या ढीला करके ठीक किया जाता है।
5. माइक्रोमीटर के सिद्धांत (Principle of Micrometer)
माइक्रोमीटर लीड व पिच के सिद्धांत पर काम करता है। यह nut और bolt के सिद्धांत पर भी कार्य करता है। जैसे अगर नट और बोल्ट पर एक चक्कर पूरा किया जाए तो नट एक चक्कर में अपनी चूड़ी के बराबर दुरी तय करेगा, इसे पिच कहते हैं। इसी सिद्धांत को लेकर माइक्रोमीटर के स्लीव पर 1 इंच में 40 चूड़िया कटी होती है। इसलिए स्लीव में भी 1 इंच में 40 चूड़िया कटी होती है। उदाहरण-
0.278″ की जॉब को मापना है।
बैरल का मुख्य प्रभाग = 2×0.100″ = 0.200″
बैरल का उप प्रभाग = 3×0.2″ = 0.75″
थिंबल का मुख्य प्रभाग = 3×0.001 = 0.003″
माइक्रोमीटर की पूरी रीडिंग= 0.278″
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माइक्रोमीटर के इस ब्लॉग में अपने जाना कैसे और क्या काम करता है माइक्रोमीटर।
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