reti ke prakar

reti kya hota hai. reti ke prakar – रेती क्या है? रेती के प्रकार 2023

reti kya hota hai. reti ke prakar – रेती क्या है? रेती के प्रकार

रेती एक प्रकार का टूल है जिसका उपयोग किसी जॉब के Surface से मटेरियल को घिस कर निकालने के लिए रेती का उपयोग किया जाता है , इसे रेती कहते है!

रेती का इस्तेमाल प्लेन सतह (Plane Surface) , वक्र सतह (Curve Surface) , सीधी झिर्री, वृत्ताकार या आयताकार होल आदि प्रकार की जॉब से फालतू पदार्थ को निकालने के लिए किया जाता है!

Table of Contents

रेती किस मैटीरियल की बनी होती है।

रेती के मुख्य भाग

रेती के प्रकार

1.साइज के आधार पर

2.आकृति के आधार पर

3.दाँतों की कटिंग के आधार पर

4.दाँतों के ग्रेड के आधार पर

 

रेती किस मैटीरियल की बनी होती है।

रेती (File) अधिकतर हाई कार्बन स्टील को फोर्ज करके बनाई जाती है। परन्तु कभी-कभी टंग्स्टन स्टील को भी File बनाने में प्रयोग किया जाता है। रेतियों में फोर्जिंग के बाद दाँते (Teeth) बनाए जाते हैं

तथा इसके बाद हार्डनिंग तथा टैम्परिंग के लिए ऊष्मा उपचार (Heat Treatment) किया जाता है!

 

रेती के मुख्य भाग

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फेस- फाइल का वह चपटा (Flat) भाग जिसमे cutting teeth बने होते हैं, face कहलाता है। कभी-कभी यह भाग नीचे की ओर टेपर मे बनाया जाता है।

टैंग- फाइल को हाथ में पकड़ बनाने के लिए उसके ऊपरी सिरे पर एक लकड़ी (Wood) या प्लास्टिक का हैण्डिल लगाने की आवश्यकता रहती है।हैण्डिल में फाइल को फिट करने के लिए उसके ऊपरी सिरे को नुकीला बनाया जाता है। इस नुकीले भाग को ही टैंग (Tang) कहते हैं।

हैण्डिल(Handle)- रेती को पकड़ने के लिए टैंग (Tang) पर लगा भाग, हैण्डिल कहलाता है।

हील- फेस तथा टैंग के मध्य कुछ भाग समतल (Plane) तथा बिना दाँतो का बचता है। इस भाग को हील कहते हैं।

टिप या प्वाइण्ट- फाइल के निचले सिरे को टिप या प्वाइण्ट कहते हैं। यह सिरा तिकोना (Triangle)बनाया जाता है परन्तु कभी-कभी सीधा भी होता है।

किनारा(Edge)– रेती की साइडों को एज कहते हैं। तथा फ्लैट फाइल (Flat File) की दोनो साइडों पर दाँते कटे होते हैं। इन दाँतों से कटाई करने के लिए फाइल को खड़ा करके चलाना पड़ता है।

शोल्डर- हील के ऊपर टैंग बनाने के लिए, जिस भाग को तिरछा किया जाता है,उस भाग को शोल्डर (Shoulder) कहते हैं।

फैरुल(Ferrule)– हैण्डिल में दरार पड़ने पर, दुर्घटना (accident) से बचने के लिए हैण्डिल के ऊपर धातु का छल्ला फिट कर दिया जाता है। इस धातु के छल्ले को ही फैरुल कहते हैं।

 

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रेती के प्रकार (Reti ke prakar)

1. साइज के आधार पर
2.आकृति के आधार पर
3. दाँतों की कटिंग के आधार पर
4.दाँतों के ग्रेड के आधार पर

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1.साइज के आधार पर

रेती का आकार उसकी length से प्रकट किया जाता है फाइल की लम्बाई point से हील तक की दूरी होती है यह बाजार में 10 cm से 45 cm तक मिलती हैं।

महीन कार्यों के लिए 10 cm से 15 cm और मध्यम कार्यों के लिए 15 cm से 25 cm तथा भारी कार्यों के लिए 20 cm से 45 cm लम्बाई की रेतियाँ प्रयोग की जाती हैं।

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2.आकृति के आधार पर

(a)फ्लैट रेती – यह आयताकार कट वाली फाइल होती है,यह अपनी लम्बाई का 2/3भाग हील की ओर समान्तर रहती है, और 1/3 भाग (प्वाइण्ट की ओर का) यह चोड़ाई और मोटाई दोनो में ही टेपर होती है।

इसके दोनो face पर single या double cut teeth होते हैं तथा दोनो किनारों पर सिंगल कट सीधे दाँत बने होते हैं , यह फाइल बाजार में 15-40 cm की लंबाई में मिलती है,

इसका उपयोग कार्यशालाओं (Workshops) में सबसे ज्यादा होता है। इसके द्वारा चपटी सतह का निर्माण किया जाता है

इसके फेस समतल ना होकर बीच में कुछ उभरे हुए होते हैं, जिसे उत्तलता(convexity) कहते हैं।}

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(b)हस्त रेती- यह रेती आयताकार काट की होती है। इसकी चौड़ाई पूरी लम्बाई में समान होती है,परन्तु मोटाई में यह प्वाइण्ट की ओर 1/3 भाग में टेपरित होती है।

इसकी एक किनारे पर सीधे सिंगल कट दाँत कटे हुए होते है होते हैं और दूसरा किनारा प्लेन या बिना दाँतों की होती है। इस एज को Safe Edge या सुरक्षित किनारा कहते हैं।

यह safe edge फाइल की flat surface को खड़ी अवस्था में job को साइड से फाइलिंग करने में सहायता प्रदान करती है तथा जिस सतह पर Safe Edge चलती है वह सतह खराब नहीं होती है।

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(c)पिलर रेती- इस रेती का आकार हस्त रेती के समान होता है,यह उससे कम चौड़ी तथा अधिक मोटी होती है।इसकी लम्बाई 15-25 सेंटीमीटर तक पाई जाती है।

पिलर रेती का प्रयोग filing करने के लिए किया जाता है, जैसे- चाभी और खाँचा (Key-Way) इत्यादि।

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(d)मिल रेती- इस रेती की चौड़ाई व मोटाई पूरी लम्बाई में समान रहती है। इसका किनारा (Edge) चौरस,गोल या डायमण्ड आकार में होती है। इन edges पर single cut teeths बने होते हैं।

इस प्रकार के teeth का प्रयोग अर्द्ध-गोलाकार ग्रूव (Half Round Groove) बनाने के लिए किया जाता है, इसके face पर अधिकतर single cut teeth बने होते हैं।

इसलिए इसका उपयोग लेथ मशीन (Lathe Machine) पर जाब की सतह को परिष्कृत करने या draw filing करने के लिए किया जाता है।

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(e)वार्डिंग रेती- यह रेती भी फ्लैट फाइल के समान होती है, यह 10-20सेमी लम्बी होती है। इसके फेस पर बहुत बारीक दाँते होते हैं।

इसका प्रयोग फिनिशिंग के लिए या अन्य हल्के कामों के लिए किया जाता है। इसका इस्तेमाल चाभी (Key) बनाने, खाँचों (Groove) की कोर सफाई आदि करने केकामों में किया जाता है।

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(f)त्रिभुजाकार रेती इस रेती की अनुप्रस्थ काट सम-त्रिभुज के समान होती है इसलिए इसे त्रिभुजाकार रेती (Triangular File) कहते हैं।

इस फाइल में तीन समान आकार के आयताकार फलक (Face) होते हैं, जिन पर साधारणतः सिंगल कट दाँते बने होते हैं। इस फाइल का भी प्वाइण्ट की ओर का 1/3 भाग टेपर में होता है।

यह फाइल मुख्य रूप से आरी के दाँतों पर धार लगाने के लिए प्रयोग की जाती है। इसका प्रयोग चौकोर (Square) या तिकोने खाँचों के कोने शार्प करने के लिए भी किया जाता है।

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(g) वर्गाकार रेती- इस रेती की अनुप्रस्थ काट Square होती है, इसमें चार आयताकार फलक (Face) होते हैं।इसके प्रत्येक फलक पर डबल कट दाँते बने होते हैं।

फाइल का प्वाइण्ट की ओर 1/3 भाग टेपर में बना होता है। इसका प्रयोग पतली झिर्रियों तथा आयताकार या वर्गाकार होल को रेतने (Filing) के लिए किया जाता है।

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(h) गोल रेती- इस रेती की अनुप्रस्थ काट (Cross Section) वृत्ताकार होती है। इस फाइल का प्वाइण्ट की ओर 1/3 भाग टेपर में बना होता है।इस फाइल के पूरे भाग में सिंगल कट वाले दाँते होते हैं।

इस फाइल का उपयोग वृत्ताकार या वक्र सतहों (Curve Surfaces)को रेतने के लिए किया जाता है।

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(i)अर्द्ध गोल रेती- इस रेती की अनुप्रस्थ काट अर्द्धवृत्त (Semi circle) के समान होती है। इस फाइल का प्वाइण्ट की ओर 1/3 भाग टेपर में होता है।

इस फाइल की वक्र सतह पर सिंगल कट दाँते बने होते हैं फ्लैट सतह पर डबल कट दाँते बने होते हैं। इस फाइल का उपयोग समतल (Flat) तथा वक्र (Curve) दोनों प्रकार की सतहों को रेतने के लिए किया जाता है।

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(j)नाइफ- एज रेती– इस रेती की अनुप्रस्थ काट चाकू(Knife Section) की काट के समान होती है। इसकी एक भुजा नुकीली होती है। इसके काट का एंगिल 10° होता है।

इसके दोनो फेसों पर डबल कट दाँते बने होते हैं। इसका प्रयोग अति तंग स्थानों पर रेताई (Filing) करने के लिए किया जाता है।

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(k) नीडिल रेती- यह रेती बहुत बारीक अनुप्रस्थ काट की होती है। इसका प्वाइण्ट नुकीला होता है, इसकी लम्बाई 10-20 सेमी होती है। इसकी टैंग (Tang) गोल होती है

तथा हाथ में सीधे पकड़ी जाती है अर्थात् टैंग, हैण्डिल (Handle) का काम करती है। यह रेतियाँ बहुत हल्के कामों में प्रयोग की जाती हैं।

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3. दाँतों की कटिंग के आधार पर

(a)सिंगल कट रेती- इस रेती के फेस पर सीधी रेखा (Straight Line) में दाँतें बने होते हैं। यह एक-दूसरे के परस्पर समांतर होते हैं,तथा फलक की केंद्र रेखा से 60 डिग्री पर होते हैं।

इन रेतियों से धातु कम कटती है परंतु सतह अच्छी प्रकार परिष्कृत (Finish) होती है। इनका प्रयोग औजारों की धार बनाने के लिए तथा कठोर धातुओं को रेतने के लिए किया जाता है।

दाँतों का झुकाव इस प्रकार होता है की आगे चलने पर ही रेती रेतने (Filing) का कार्य करती है।

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(b)डबल कट रेती- इसमें केंद्र रेखा से 60 डिग्री पर सिंगल कट की रेखाएं (Lines) खींची जाती हैं तथा इसके बाद दूसरा कट केन्द्र रेखा से 75 डिग्री से 80 डिग्री तक झुका होता है

इन रेतियों में नुकीले दाँते होने के कारण, यह तेजी से ज्यादा माल काटती हैं परंतु उसके द्वारा प्राप्त सतह (Surface) चिकनी नहीं होती है।रफ कार्यों के लिए इसी रेती का प्रयोग किया जाता है।

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(c)रैस्प कट रेती- सिंगल कट तथा डबल कट रेती के समान इनके दाँते सीधी लाइनों में तथा एक दूसरे से जुड़े नहीं होते,बल्कि face पर दूर-दूर पंच द्वारा उभार बनाए जाते हैं,

इन रेतियों का उपयोग लकड़ी (Wood), रबड़ या घोड़े के खुर इत्यादि मुलायम वस्तुओं को रेतने के लिए किया जाता है।

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(d)वृत्ताकार कट रेती- इस रेती में दाँतें फलक (Face) पर सीधे के स्थान पर वृत्ताकार आकृति में बनाए जाते हैं तथा एक-दूसरे के समांतर होते हैं।

यह रेती मुलायम धातुओं को रेतने के काम आती है। इसके द्वारा बहुत कम माल कटता है।

reti kya hreti kya hota hai. reti ke prakar – रेती क्या है? रेती के प्रकारota hai. reti ke prakar – रेती क्या है? रेती के प्रकार

(e) स्पाइरल कट रेती- 

इस रेती में दाँते स्पाइरल आकृति में बने होते हैं तथा point से शुरू होकर हील तक पहुंचते हैं इस प्रकार के दाँते गोल रेती में होते हैं।

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4. दाँतों के ग्रेड के आधार पर:

रेती के दाँतों का ग्रेड प्रति सेमी में बने दाँतों की संख्या से दिया जाता है तथा अधिक दाँते प्रति सेमी वाली फाइल फाइन (Fine) तथा कम दाँतो वाली फाइल कोर्स (Course) कहलाती है। ग्रेडों के आधार पर निम्नलिखित प्रकार की रेतियाँ (Files) होती हैं-

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(a) रफ रेती- इस फाइल में 8 दाँते प्रति सेमी होते हैं। यह सबसे ज्यादा मोटे दाँतों की फाइल होती है। यह सबसे अधिक धातु काटती है। ये रेतियाँ कठोर सतहों पर Slip हो जाती हैं। इनका प्रयोग मुलायम धातुओं (Soft Metal) को रेतने के लिए किया जाता है।

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(b) कोर्स रेती- रफ फाइल की तुलना में कोर्स फाइल के दाँतें छोटे होते हैं। कोर्स फाइल में 10दाँते प्रति सेमी होते हैं। इनके द्वारा भी अधिक धातु रेतकर हटाई जाती है।

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(c) बास्टर्ड रेती– इन रेतियों में 12दाँते प्रति सेमी होते हैं। यह मध्यम ग्रेड की फाइल होती है। इसका प्रयोग हार्ड व शाफ्ट दोनो प्रकार की धातुओं में किया जाता है।

 

(d) सेकण्ड कट रेती- इसमें 16 दाँते प्रति सेमी होते हैं। अर्थात् यह बास्टर्ड फाइल से अधिक महीन फाइल है। इसके द्वारा अच्छी परिष्कृत सतह प्राप्त होती है।

 

(e) स्मूथ रेती- इस फाइल में 20-25 दाँते प्रति सेमी होते हैं। यह फाइल बहुत कम माल हटाती है इसलिए यह हल्के कामों के लिए प्रयोग की जाती है। इसके द्वारा अधिक परिष्कृत या फिनिश सतह प्राप्त होती है।

 

(f) डैड स्मूथ रेती– इस फाइल में 28-35 दाँते प्रति सेमी होते हैं। इस फाइल का प्रयोग रफ फाइलिंग के बाद सतह को स्मूथ करने के लिए किया जाता है। इसके द्वारा माल बहुत कम कटता है। इसको फाइन फिनिशिंग के लिए उपयोग किया जाता है।

 

(g) सुपर डैड स्मूथ रेती- इस फाइल में 40-65 दाँते प्रति सेमी होते हैं। यह फाइल लम्बाई मे छोटी होती है। इसका प्रयोग बहुत ही परिशुद्ध तथा परिष्कृत सतह प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

 

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