types of crane in hindi ( क्रेन के प्रकार ):
कोई भी वर्क ले जहा पे हम काम करने के लिए जाते हैं, चाहे वो कंस्ट्रक्शन साइट हो,वेयर हाउस हो या फिर कोई इंडस्ट्री हो, हर जगह पे हमे क्रेन देखने को मिलती है।
इन क्रेन का इस्तेमाल मटेरियल को लोड करने के लिए या अनलोड करने के लिए या मटेरियल को एक जगह से दूसरी जगह पे ले जाने के लिए या फिर शिफ्ट करने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है।
जब भी हम किसी से क्रेन के बारे में पूछते हैं या जानने की कोशिश करते हैं तो हमें मोटे तौर पर जो हमारे आस पास क्रेन ज्यादातर दिखाई देती है वो गिनवा दिए जाते हैं।
सीधे सीधे जैसे की मोबाइल क्रेन होता है, एक रोलर क्रेन होता है, हाइड्रा होता है, टावर क्रेन होता है। ऐसे सीधे सीधे क्रेन के बारे में हमें गिनवा दिया जाता है। उनके नाम बता दिए जाते हैं।
लेकिन सिर्फ इतना जानना आपके लिए काफी है ? तो स्वागत है दोस्तों आपका हमारे ब्लॉग में तो आज इस ब्लॉग में हम जानने वाले है क्रेन्स के प्रकार के बारे में जो हमारे आसपास वर्क प्लेस पे जो क्रेन्स इस्तेमाल होती है,
वो कितने तरीके की होती हैतो सबसे पहले हम जानेगे कि क्रेन्स कितने केटेगरी के होते हैं तो क्रेन को दो कैटेगरी में डिवाइड किया जा सकता है
(i) स्टैटिक क्रेन्स (ii) मोबाइल क्रेन्स
(i) स्टैटिक क्रेन्स:
ये परमानेंट या सेमी परमानेंट स्ट्रक्चर पर बने होते हैं स्टैटिक क्रेन को ग्राउंड पे फिक्स किया जा सकता है या फिर बिल्डिंग के साथ सपोर्ट लेके फिक्स किया जा सकता है
इनके मूवमेंट का जो एरिया होता है वो लिमिटेड होता है यानी कि जो भी मटिरीअल उठाएंगे और मूव करेंगे वो एक फिक्स्ड पाथ पे लेके ही चल पायेंगे जो एरिया हैं स्टडी का उतने में ही इनका मूवमेंट होगा।
उससे बाहर अगर एक साइड से दूसरी साइड पे एक मटीरियल्स को ले जाना है या फिर क्रेन को ले जाना है तो ये स्टैटिक रेन्स के लिए पॉसिबल नहीं है।
अब बात करेंगे मोबाइल क्रेन के इसके बारे में तो मोबाइल क्रेन जो होते है, ये थ्रेड्स पे या पहिया पे माउंटेड होते हैं यानी की ये पोर्टेबल होते हैं इन्हें जरूरत के हिसाब से एक साइड से दूसरी साइड पे ले जाया जा सकता है।
अब आगे पोस्ट में हम जानेगे स्टैटिक क्रेन के प्रकार के बारे में..स्टैटिक क्रेन तीन प्रकार के होते हैं
- ओवर हेड क्रेन्स
- टावर क्रेन्स
- लेवल लुपिंग क्रेन्स
1. ओवर हेड क्रेन्स
ओवरहेड क्रेन्स का मतलब इनका एक फिक्स स्ट्रक्चर होता है और जो लिफ्टिंग मेकनिजम होता है, वो ऊपर से मैटीरियल को लिफ्ट करता है और लोड या अनलोड करता है।अब आगे देखते हैं ओवरहेड क्रेन्स कौन कौन से हो सकते हैं
a. गैन्ट्री क्रेन :
ये हैं गैन्ट्री क्रेन गैन्ट्री क्रेन दो स्ट्रक्चर्स पे खड़ा होता है। नीचे इसकी ट्रैक हो सकता है जिससे की ये एक जगह से दूसरी जगह पे लोड को लेकर मूव करता है एक फिक्स्ड ट्रैक पे ये लोड को लेकर मूमेंट कर सकता है
इसका इस्तेमाल काफी बल्कि मटिरीअल जो होते है या जो हेवी लोड होते है उनको उठाने के लिए लोड अनलोड करने के लिए किया जाता है।
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b. ब्रीज क्रेन :
ब्रीज क्रेन इसका इस्तेमाल ज्यादातर इंडस्ट्रीज में मटीरीअल को लोड, अनलोड और शिफ्ट करने के लिए किया जाता है ब्रिज क्रेन भी ओवरहेड स्ट्रक्चर पे फिक्स होते हैं।
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c. मोनोरेल क्रेन :
मोनोरेल क्रेन ये भी ब्रिज क्रेन की तरह ही होता है इसका इस्तेमाल ज्यादातर इंडस्ट्रीज में किया जाता है इसमें खासियत सिर्फ ये होती है की इसमें रेलवे की तरह ट्रैक बने होते है जिसपे लोड लेकर आप उन ट्रैक के थ्रू मटेरियल को एक जगह से दूसरी जगह पे शिफ्ट कर सकते हैं।
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d. जीब क्रेन:
जीब क्रेन ये एक सिंगल स्ट्रक्चर पे सिंगल पिलर पर खड़ा होता है, जिससे की एक बूम निकला होता है और उसमें लिफ्टिंग मेकनिजम लगा रहता है इसका इस्तेमाल ज्यादातर वेर हाउसेज और इंडस्ट्रीज़ में किया जाता है!
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e. वर्कस्टेशन क्रेन :
वर्कस्टेशन क्रेन भी मोनोरेल क्रेन के पैटर्न पे ही काम करता है लेकिन इसका जो मूवमेंट होता है वो मोनो रेल से थोड़ा सा कम होता है इसका इस्तेमाल भी ज्यादातर इंडस्ट्रीज में किया जाता है और वेर हाउसेज में भी किया जाता है।
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2. टॉवर क्रेन्स
टॉवर क्रेन्स ये एक तरीके का फिक्स स्ट्रक्चर होता है जिसपे इन क्रेन्स का निर्माण किया जाता है टावर क्रेन बेसिकली तीन तरीके के होते हैं।
a. हैमरहेड क्रेन
इसे फ्रेम टावर क्रेन के नाम से भी जाना जाता है ये एक स्ट्रक्चर पे बना होता है जिसपे बूम फिक्स होता है, उस बूम की सहायता से हम फिक्स्ड स्ट्रक्चर के एक फिक्स्ड रेडियस में मटिरीअल को लोड या अनलोड कर सकते हैं।
टावर क्रेन का जो स्ट्रक्चर होता है, उससे मटिरीअल को लोड या अनलोड करने के लिए टॉवर क्रेन का 360 डिग्री का मूवमेंट किया जा सकता है।टावर क्रेन का ज्यादातर इस्तेमाल कंस्ट्रक्शन साइट्स पे किया जाता है जहाँ पे हेवी मटेरियल लोड या अनलोड करने होते हैं। इन टावर क्रेंस की कैपेसिटी 30 से 50 टन के आसपास हो सकती है।
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b. लोफिंग टावर क्रेन्स
इनका भी ज्यादातर इस्तेमाल कंस्ट्रक्शन साइट पर ही किया जाता है। इन क्रेन्स को लूफिंग जीप क्रेन के नाम से भी जाना जाता है और जो अभी हमने पहले हैमरहेड क्रेन देखा है, ये उससे ज्यादा कपैसिटी का लोड उठा सकते हैं। उससे ज्यादा महंगा होते हैं। इन क्रेन्स का इस्तेमाल ऐसी जगह पे किया जाता है जहाँ पे जो स्पेस होता है वो ज्यादा कन्जेस्टेड होता है।
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c. सेल्फ इरेक्टिंग टावर क्रेन
सेल्फ इरेक्टिंग टावर क्रेन का इस्तेमाल करना बहुत आसान होता है। इसको फोल्ड अनफोल्ड करना, डिस्मेंटल करना इनका साइट पे बहुत ही ज्यादा आसान होता हैअगर हैमरहेड और लूपिन टावर क्रेन से इनका कंपैरिजन किया जाए तो ये बहुत ही ज्यादा लाइट फ्रेम के होते हैं।
इनको एक जगह से दूसरी जगह पे आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है और इनकी जो कपैसिटी होती है वो बहुत ही ज्यादा कम होती हैइनका इस्तेमाल ऐसी जगह पे किया जाता है जहाँ पे बहुत ही कन्जेस्टेड स्पेस होता है।
यानी की दो बिल्डिंग के बीच में अगर क्रेन का इस्तेमाल करना है तो वहाँ पे इसे आसानी से ले जाया जा सकता है और काम किया जा सकता है और ये ज्यादातर विल माउंटेड होते हैं तो इनके ट्रांसपोर्टेशन में भी बहुत आसानी होती है।
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3. लेवल लफिंग क्रेन
लेवल लफिंग क्रेन इसका इस्तेमाल बड़े प्रोजेक्ट्स और इंडस्ट्रियल इक्विपमेंट इन्स्टॉलेशन के लिए किया जाता है। इन क्रेंस की लिफ्टिंग कैपेसिटी बाकी क्रेन्स के मुकाबले बहुत ज्यादा होती है।
लेवल लफिंग क्रेंस की एक खास बात ये होती है की जब भी आप मटेरियल को शिफ्ट करते हैं, इसका हुक जो है वो आप एक लेवल पे मेनटेन कर सकते हैं मतलब अगर मटेरियल को आप उठाके और एक जगह से दूसरी जगह पे शिफ्ट कर रहे हैं तो जो हुक की हाइट वही रहेगी जहाँ पे मटिरीअल उठा हुआ है
और उस मटिरीअल की हाइट कॉन्स्टेंट रहेगा उसमें कोई भी बदलाव नहीं होगा, ना वो ऊपर जायेगा ना नीचे जाएगा इसका जो जीप बूम होगा, सिर्फ वही ऊपर नीचे मूवमेंट करेगा, जो मटिरीअल है, वो अपनी जगह पे स्टेबल रहेगा
अपनी हाइट पे मोमेंट करते समय इसे सेफ्टी के एतबार से बहुत ही ज्यादा सेफ होता हैअब आगे हम देखेंगे मोबाइल क्रेन के बारे में इसमें देखेंगे कि मोबाइल क्रेन से कितने प्रकार के हो सकते हैं।
जैसा मैंने पहले भी बताया कि जो मोबाइल क्रेन से होते हैं
ये ट्रेड्स या फिर व्हील माउन्टेड होते हैं जिनको जरूरत के हिसाब से एक जगह से दूसरी जगह पे ले जाया जा सकता है।
(ii) मोबाइल क्रेन
मोबाइल क्रेन कई तरीके के हो सकते हैं सबसे पहले जो हम देखने वाले है वो है
1. क्रॉलर क्रेनक्रॉलर क्रेन इनमें पहियों की जगह पे मेटल की पट्टियाँ लगी होती है, जिसके मूवमेंट करने से क्रेन का मूवमेंट होता है। आगे पीछे और इनका ज्यादातर ऐसी जगह पे इस्तेमाल किया जाता है जहाँ पे जमीन उबड़ – खाबड़ है।
क्रॉलर क्रेन की एक खास बात ये है की इनको इस्तेमाल करते समय इनमें किसी भी तरीके के आउट ट्रिगर्स के इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं होती है, क्योंकि जो इनके व्हील या पट्टियाँ होती है मेटल की ये एक प्रॉपर स्टेबिलिटी प्रोवाइड कराती है क्रेन को मूवमेंट करते समय ऑपरेट करते समय
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2. रफ टेर्रेन क्रेनअभी जो क्रेन देख रहे हैं, इसको रफ ट्रेन ट्रेन के नाम से जाना जाता है। जैसा कि आपको नाम से क्लियर हो रहा है कि रफ टेरेन्स मतलब की रफ्तार एन स्पेस का इस्तेमाल किया जाता है।
इसमें बड़े बड़े प्रकार के पहिये होते हैं, जिससे इसका इस्तेमाल कहीं पे भी किया जा सकता है। इनका ज्यादातर इस्तेमाल रफ टेरेन्स में जैसे की कीचड़ वाली जगह जहाँ पे ज्यादा तर नॉर्मल क्रेन से ऑपरेशन मुश्किल होता है उनको ले जाना मुश्किल होता है तो ऐसी जगह पे रफ टेर्रेन क्रेन का इस्तेमाल किया जाता है।
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3. ऑल टैरेन ट्रेनअभी जो क्रेन देख रहे हैं, हम इसे ऑल टैरेन ट्रेन के नाम से जाना जाता है। ये बड़े ट्रकों की तरह दिखाई देते हैं। इनमें 18 से 20 पे ये हो सकते हैं या ज्यादा भी हो सकते हैं। डिपेंड करता है की क्रेन की लंबाई कितनी है।
उसके हिसाब से ऑल टरेन ट्रेन को हम किसी भी ट्रेन कंडिशन में इस्तेमाल कर सकते हैं। इनकी जो लिफ्टिंग कैपेसिटी होती है, यह रफ टेर्रेन क्रेन से ज्यादा होती है।
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4. ट्रक माउंटेड क्रेनट्रक माउंटेड क्रेन ये बहुत ही लाइट वेट कपैसिटी के होते हैं इनका ज्यादातर इस्तेमाल मटिरीअल को लोड करने के लिए और अनलोड करने के लिए किया जाता है। इस तरीके के क्रेन्स ट्रक के ऊपर बनाए जाते हैं।
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5. कैरी डेक क्रेनकैरी डेक क्रेन बहुत ही छोटे होते हैं। इनकी लिफ्टिंग कैपेसिटी बहुत कम होती है। इनका इस्तेमाल ज्यादातर वर्क प्लेस पे मटिरीअल को लोड अनलोड करने के लिए और छोटे मोटे सामान को एक जगह से शिफ्ट करने के लिए किया जाता है।
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6. हाइड्रोलिक क्रेनहाइड्रोलिक क्रेन मोस्टली हाइड्रा के नाम से जाना जाता है ये बहुत ही कॉमन क्रेन है जो हमारे आस पास हमेशा काम करते हुए आपको दिख जाएगी इस तरीके के क्रेन्स को एक जगह से दूसरी जगह पे ले जाना आसान होता है इनका इस्तेमाल मटिरीअल लोडिंग अनलोडिंग के लिए और मटिरीअल को एक जगह से दूसरी जगह पे शोर्ट डिस्टेंस पे शिफ्ट करने के लिए किया जाता है।
अभी बात करने वाले है कुछ स्पेशलिस्ट क्रेन के बारे में ये ऐसे क्रेन्स होते हैं जो अलग अलग काम के लिए स्पेशलाइज्ड होते हैं।जिनको पिछली दो कैटगरी स्टैटिक क्रेन और मोबाइल क्रेन के अंतर्गत नहीं रखा गया है तो वो ये कुछ तरीके के होते हैं। ये और भी हो सकते हैं फिलहाल यहाँ पे तीन की बात करने वाले हैं
(i) फ्लोटिंग क्रेन
ये ज्यादातर सी प्रोजेक्ट्स में इस्तेमाल होते है। जैसे की पोर्ट हो गया या फिर ऑइल रिक्स हो गया। वहाँ पे लोडिंग अनलोडिंग के लिए फ्लोटिंग क्रेन का इस्तेमाल किया जाता है।
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(ii) लोकोमोटिव क्रेन
इस तरीके का ट्रेन का इस्तेमाल गुड्स को लो डाउनलोड करने के लिए, मेन्टेन्स काम के लिए या फिर ऐक्सिडेंट रिकवरी व्हीकल के तौर पर किया जाता है। कभी कभी आपने देखा होगा की कुछ रेलवे स्टेशन्स पे इंडियन रेलवे की रिकवरी ट्रेन खड़ी रहती है। उसमें बहुत सारे इक्विपमेंट होते हैं तो आपने कभी देखा होगा कि उसमें एक क्रेन भी होती है। उसका इस्तेमाल रिकवरी के लिए किया जा सकता है या मेन्टेन्स पर्पस के लिए किया जाता है
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(iii) एरियल क्रेन
एरियल क्रेन्स बेसिकली हवा में उड़ने वाले क्रेन्स होते हैं यानी की हेलिकॉप्टर्स होते हैं इनका इस्तेमाल मटिरीअल को एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए किया जाता है ये ऐसी जगह पे इस्तेमाल किए जाते हैं
जहाँ पे जो ग्राउंड क्रेन्स नहीं पहुँच पाती है तो ऐसी जगह पे मटिरीअल को शिफ्ट करने के लिए एरियल क्रेन की सहायता से शिफ्टिंग की जाती है।
निचे हमने एक PDF फाइल दिया हुआ है आप चाहे तो चेक कर सकते है ..
तो दोस्तों, अब तक हमने इस पोस्ट में पढ़ा की कितने तरीके की क्रेन्स हो सकती है कितनी कैटगरी हो सकती है उनकी और उनके काम के बारे में जाना अगर आपको लगता है कि इस पोस्ट में कोई पॉइंट छूट गया है जो इस पोस्ट में होना चाहिए था तो वो हमें कमेंट सेक्शन में आप जरूर बताइयेगा, आशा करता हूँ आपको ये पोस्ट पसंद आई होगी पोस्ट को यहाँ तक पढने के लिए धन्यवाद। फिर मिलेंगे एक नए पोस्ट में।